Motivation Story for Students and there parents || छात्रों और उनके माता-पिता के लिए प्रेरक कहानी ||

 


बचपन में जब हम स्कूल ना जाने की जिद करते थे तब हमारे माँ और पापा हमें डांट के मार मार के स्कूल भेजा करते थे ! तब हमें लगता था के हमारे माँ और पापा हम पे  बहोत ज़ुल्म करते हैहमें जबरदस्ती पढाई करने स्कूल भेजते है! जो हमें बिलकुल भी पसंद नहीं होता था ! तब हमें ये बात समज में नहीं आती थी के माँ और पापा जो कुछ भी कर रहे है, वह हमारी भलाई के लिए कर रहे है ! मुझे याद है जब में छोटा था तब एक बार ट्यूशन ना  जाने के लिए मैंने अपने बेग की चाबी को कपड़ो के कबोट में छिपा दिया थाऔर फिर मैंने अपनी माँ को मनाया के बैग की चाबी नहीं मिल रही तो में ट्यूशन नहीं जाता कहेके में खेलने लग गया था| उसी समय पापा अचानक से घर गये, उन्हें आता देख मेरे होशउड़ गए, मन में डर  लगने लगा के अब पापा ने मुझे ट्यूशन के समय में खेलते हुए देख लिया है| अब मेरा क्या होगा ??? ये डर मन में था और पापा ने आके मुझसे पूछा ? आज क्यों पढाई करने नहीं गया ??? मैंने डरते हुए कहा पापा आज मेरे बेग की चाबी कही खोगई है इसलिए में आज नहीं गया! पापा ने मेरे शब्दों में झूठ को पहचान लिया था, उन्होंने मुझे अपने पास बिठाया और बड़े प्यार से पुछा चाबी कहाँ है ??? मैंने कहा पापा चाबी खो गई है ! उसी समय मेरे कुछ सोचने से पहले मेरे गाल पे पापा ने जोर से थप्पड़ लगादी और मुझसे पूछने लगे चाबी  कहाँ है ??? पर में बता ने से रहा, और अपनी ही जिद पे अड़ा रहा, और पापा मुझे मारते  रहे आखिर में जब पापा थक गए तब मुझे जाने दिया, ये बात मुझे तब समज  में आई जब में पहेली बार नौकरी करने बड़े शहर में आया, और मुझे हिंदी लिखना पढ़ना एवं बोलना भी ठीकसे  से नहीं आता था, और  घर के हालत  कुछ ऐसे थे के मुझे नौकरी करना बेहत जरुरी था, और कोई रास्ता भी नहीं था ! तब मुझे लोग चिढ़ाते थे के तुजे कुछ नहीं आता तो तुजे चाय के कप धोने पड़ेंगे| वो सुन के में बहोत दुखी होता था!

और  मुझे कभी भी ऐसी नौकरी नहीं करनी थी| जिसमे चपराशी का काम हो, जिसमे चाय पानी पिलाना पड़े, इसलिए में पापा से कहता था के पापा मुझे अछि जॉब दिलवाना| तब पापा ने मुझे दो ऑप्शन दिए एक सही तरीके से और महेनत करके पैसे कमाओ, या दूसरा बेईमानी और चोरी करके जल्दी अमीर बन जाओ, पर मेरे उसूल और मेरे माता पिता की परवरीस मुझे गलत काम करने के लिए कभी भी प्रेरित नहीं की थी | इसलिए मैंने मेहनत का रास्ता चुना और नौकरी ढूंढने लगे फिर आखिरकार मुझे एक जगह नौकरी मिली पर मुझे बताया नहींगया के मुझे क्या काम करना पड़ेगा, जरुरत के हिसाब से मैंने नौकरी के लिए हां करदी और दूसरे दिन चला गया,

वहां जाके मुझे पता चला के मुझे वही चपराशी का ही काम करना पड़ेगा क्यों की में इतना पढ़ा लिखा नहीं था मुझे कुछ आता था ! और मुझे वह सारा काम करना पड़ा|

तब मुझे पापा  के हाथ की मार याद आई, उनका डांटना, गुस्सा करना, जबरदस्ती स्कूल भेजना, सब कुछ मेरी नजरों  के सामने चल रहा थाऔर फिर सोचा के कास में अछेसे पढ़ा होता, कुछ सीखा होता तो आज मुझे ये चपराशी की नौकरी ना करनी पड़ती, ये जूठे बर्तन ना करने पड़ते ना  मुझे किसीके सामने निचा देखना पड़ता,

पर घर के हालत कुछ ऐसे थे के में वह चपराशी का काम करने में लग गया मुझसे पानी मंगवाते, चाय मंगवाते, जुठे बरतन साफ करवाते और गाड़िया भी साफ करवाते। वो जिंदगी के हर एक पलों  में मैंने अपनी पढाई को लेके खुद को छोटा और कमजोर महसूस पाया! और ये शिखा के अगर हमें अपनी काबिलियत  के साथ साथ अगर पढाई पे भी ध्यान दे और अछेसे पढाई करे तो हमें किसी के सामने निचा देखने की जरुरत ना पड़े और हम इज़्ज़त के साथ सम्मान साथ जी सके,

बचपन में स्कूल ना जाने की जिद और मासे, पापा से  मिली डांट अगर बचपन में ही समज में आजाये  तो पूरा जीवन आप सुखमय और सम्मान से जी सकते है!

हर किसी के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है, जब उसे पढ़ने लिखने  की अहमियत पता चलती है| और वही समय होता है के कुछ कर दिखने का आज इस दुनिया में सब लोग बहोत आगे निकल गए है, और समय के साथ चल रहे है, ऐसे में यदि हम पीछे रहे जाते है, तो हमारा हाथ थामने वाला भी कोई नहीं होगा, और अँधेरे की दुनिया में हम कही खो जायेंगे !

इसलिए समय के साथ चलना बेहद जरुरी है और पढ़ना लिखना भी बेहद जरुरी है!

 

कहानी का सार

यदि आप समय के साथ ना चले तो समय आपको ऐसा समय दिखायेगा की आप कुछ भी नहीं कर पाओगे और आपका अच्छा समय भी आपके हाथो से निकल जायेगा!

इस भागदौड़ की जिंदगी में आपको हर जगह शिक्षा की बेहद जरुरत पड़ने वाली है चाहे वह किताबो का ज्ञान हो या कंप्यूटर का, आज हम इस दौर में जी रहे है जहा सब कुछ डिजिटल की दुनिया की तरफ़ बढ़ रहे है, और आने वाले समय में बहोत कुछ ऑनलाइन सर्विसेस से  ही काम होने वाला हैतो हमें अपने बच्चो को समजना पड़ेगा, अपने  जीवन के पड़ाव में जो भी आपबीती हो, वह बातें अपने बच्चों को बता के प्रेरित करे ताकि वह अपना भविष्य सुरक्षित कर सके और आने वाले समय के साथ चलना सिखले!

जब मुझे चपराशी की नौकरी करनी पड़ी तब मुझे शिक्षा का महत्व समज में आया! और मैंने अपनी जॉब के साथ साथ पढाई भी सुरु करदी थी, और खूब महेनत करके में आज उस मुकाम पे पहुंचा हूँ जो में कभी सोचा भी नहीं था!

इसलिए मेरा आपसे कहना है के अपने बच्चों को शिक्षा और प्रेक्टिकल से हमेशां जोड़े रखे और उन्हें प्रेरित करते रहे!

परिस्थियाँ  इंसान को बहोत मजबूर करती है, पर बहोत कुछ सिखाती भी हैकुछ सही तो कुछ गलत, पर हमें सही को चुन के अपने आनेवाले समय को सही दिशा में ले जाने के लिए पढ़ना लिखना और उसके साथ प्रेक्टिकल भी होना जरूर सीखना पड़ेगा !

शिक्षित व्यक्ति अच्छे समज की पहचान हैऔर शिक्षा कभी भी किसी को गलत राह नहीं दिखती इसलिए हमेशा खुद भी शिक्षित बनो और दुसरो को भी शिक्षित करो.

 

|| धन्यवाद ||


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