मन बहोत ही चंचल होता है, क्योकि मन में कई प्रकार के विचार चलते रहेते है, और विचारों की गति इतनी तेज़ होती है, की वह सूर्य की किरणों को भी पीछे छोड़ देती हैं, यदि हम चाहें तो अपने मन पे काबू पा सकते है, बस हमें अपने मन को समझाना आना चाहिए।
मन में चल रहे विचार एक ऐसी प्रक्रिया है, जो कभी भी रुकेगी नहीं, और उसी के कारन मन चंचल हो जाता है। इंसान के मस्तिष्क में जब एक या दो से अधिक खयाल आने लगते है, किसी भी बात या समस्या के लिए, तो वह इंसान कोई एक फैसला नहीं ले पता, और वह सोच मे पड़ जाता है, की कोनसी समस्या का समाधान पहले करे, और उसी उलझन में वह और उलझता जाता है, उसके कारन कोई एक सही निर्णय नहीं ले पता, उसीसे वह कमजोर पड़ने लगता है, और मन गलत विचारो की तरफ चल देता है,
क्योकि गलत विचार आसानी से प्रकिर्या में परिवर्तित होते है, यह एक कुदरत का नियम है, की अच्छी और सस्ती दिखने वाली चीज हमेशां इंसान को आकर्षिक करती हैं ! पर वे कभी भी हमेशां के लिए टिकती नहीं है|
अच्छा और बुरा ये दोनों भगवान् की ही देन हैं! पर इंसान इतना कमजोर है की वह ज्यादा सोचना ही नहीं चाहता, और आसान राह पहले चुनता है, और वही आसान राह उसे आगे चल के गलत राह की और ले जाती है! आसान रह हमेसा अछि और सुलजी हुई लगती है, और ऐसा लगता है, जैसे हमें सब कुछ मिल जायेगा पर वह एक आँखों का धोखा होता है, जो हमें दीखता अच्छा है, पर अन्तः में हमें उसकी बहोत बड़ी किम्मत चुकानी पड़ती है.
कई किस्मत वाले इंसान होते है, जिन्हे बिना कुछ किये सब मिल जाता है पर हर किसी की ऐसी किस्मत नहीं होती।
इसीलिए हमें समझदारी और सोच को हमेशां सही दिशा में ले जाना चाहिए|
इतना भी आसान नहीं होता है, यह करना, पर जब हम किसी के प्रति अग्रणी और कोई चीज हम पर निर्भर हो तो हमें सही फैसला लेना उतना ही जरुरी बन जाता है जितना मछली के लिए पानी जरुरी होता है| क्योकि एक गलत फैसला आपकी पूरी जिंदगी को बर्बाद कर सकता है|
अपने मन पर काबू कैसे पाए ???
इंसान के सरीर में भगवान ने दो ऐसी चीजे बनाई है, जिसके कारन इंसान सोच पता है
पहेला दिमाग और दूसरा दिल
दिमाग और दिल दोनों विपरीत दिशा में चलते है, क्योकि दिल को सिर्फ उसके लिए सोचना होता है, जो उसके अंदर होता है, और दिमाग को वह सोचना होता है जो उसके आसपास होता है, और हमेशां इंसान वही चूक जाता है, जो फैसला दिमाग से लेना चाहिए वह दिल से सोच बैठता है, और जो फैसला दिल से लेना चाहिए उसे दिमाग पर छोड़ देता है!
हम कभी भी अपने विचारों को रोक नहीं सकते, पर उन विचारों को अपने मन से हटा जरूर सकते है, जो विचार हमारे मन में शंका और भय पैदा करते है| जब भी हमें कोई भी ऐसा विचार मन में आता है जिसे हमें लगे के हम किसी भी तरह का एक फैसला नहीं ले पा रहे हैं, तब हमें पहले परिणाम के बारे में सोचना चाहिए, की अगर हम कुछ भी सोच करके फैशला लेंगे तो उसका परिणाम सही आएगा की गलत, हमें अपनी सोच को आगे तक ले जनि होगी जहा हम देख पाए के हमारे लिए गए फैसले से कितना नुकशान होरा है और कितना फायदा|
और जब भी ऐसा समय आये यां ऐसे हालत पैदा हो की आपको कोई एक सही फैसला लेना ही पड़ेगा, किसी भी परिस्थि में, तो अपने आप को कुछ पालो का समय देना और उस पलों में दिमाग को शांत करके सोचना की आपके लिए गए फेसलेसे क्या परिणाम आएगा|
जब आप इतना करने लग जाओगे तो समझना की आपने अपने मन को समझ लिया है, और जब आप मन को समझ ने लग जाओगे तो आप अपने मन पर काबू पाना भी जल्दी शिख जाओगे |
मन को जो चाहिए वह मिले ये हर बार संभव नहीं होता, इसलिए जो मिले उसे मन में स्वीकृति दे तभी मन शांत होगा, और मन आपके कहे मुताबिक चलेगा|
यदि आपके मने में क्रोध है, और आप किसी भी बात में क्रोधित हो जाते हैं, तो आपको यह सोचना जरुरी है की,
क्रोध सिर्फ इन्शान की सोच में है इन्शान में नहीं |
क्रोध में इन्शान वो बहोत कुछ कर बैठता है, जिसे उसी को नुकशान भुगतना पड़ता हैं, पर वह बात उसे अन्तः में समज में अति है, क्यों की क्रोध इन्शान के मन का एक ऐसा अंश है जो इन्शान के मन को अपने वस् में कर लेता है, और फिर सही और गलत का निर्णय लेने से रोक लेता है|
इसलिए हमें हमेशां अपनी सोच को आगे तक ले जाना चाहिए जहाँ से परिणाम नजर आता हो.
मन एक बहोत ही खूबसूरत तोहफा है भगवान् का दिया हुआ, उसे सही तरीकेसे इस्तिमाल करेंगे तो दुनिया की कोई ताकत आपको अच्छा करने और अच्छा बनने से नहीं रोक पायेगी|
दिल भी भगवान् का दिया वो अनमोल तोहफा है, जो हमें उनलोगो की पहचान करवाता है, जो हमारे लिए जीते हैं, और हमारे लिए मरते हैं, दिल से फैसला तभी ले जब आपको लगे के कोई आपके लिए जी रहा है, आपके लिए कुछ कर रहा हैं.
आप उसके लिए खास हो, नाकि वोह आपके लिए खास है, तभी उसके प्रति आप दिल से सोचना|
यदि आपने अपने मन और दिल को एक साथ जोड़ दिया, तो आप हमेशां खुशिया ही पाओगे चाहे सुख हो यां दुःख।
इन्शान हमेशां अपने बारे में सोचता है, इसलिए वह हमेशां दुखी होता है पर जब वह दुसरो के बारे में सोचने लगता है, तो उसे खुशिया अपनेप मिल जाती है.
मन बहोत ही सुदंर है बस उसे समझना आना चाहिए यदि आप समझ लेते हो अपने मन को तो वह आपका हर हालातो में सही तरीकेसे साथ देगा।
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